भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अंतिम प्रणाम / यात्री
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:45, 29 सितम्बर 2013 का अवतरण
हे मातृभूमि, अंतिम प्रणाम
अहिबातक पातिल फोड़ि-फाड़ि पहिलुक परिचय सब तोड़ि-ताड़ि पुरजन-परिजन सब छोड़ि-छाड़ि हम जाय रहल छी आन ठाम
माँ मिथिले, ई अंतिम प्रणाम
दुःखओदधिसँ संतरण हेतु चिरविस्मृत वस्तुक स्मरण हेतु सूतल सृष्टिक जागरण हेतु हम छोड़ि रहल छी अपना गाम
माँ मिथिले ई अंतिम प्रणाम
कर्मक फल भोगथु बूढ़ बाप हम टा संतति, से हुनक पाप ई जानि ह्वैन्हि जनु मनस्ताप अनको बिसरक थिक हमर नाम
माँ मिथिले, ई अंतिम प्रणाम !