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अंतिम प्रणाम / यात्री

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हे मातृभूमि, अंतिम प्रणाम

अहिबातक पातिल फोड़ि-फाड़ि पहिलुक परिचय सब तोड़ि-ताड़ि पुरजन-परिजन सब छोड़ि-छाड़ि हम जाय रहल छी आन ठाम

माँ मिथिले, ई अंतिम प्रणाम

दुःखओदधिसँ संतरण हेतु चिरविस्मृत वस्तुक स्मरण हेतु सूतल सृष्टिक जागरण हेतु हम छोड़ि रहल छी अपना गाम

माँ मिथिले ई अंतिम प्रणाम

कर्मक फल भोगथु बूढ़ बाप हम टा संतति, से हुनक पाप ई जानि ह्वैन्हि जनु मनस्ताप अनको बिसरक थिक हमर नाम

माँ मिथिले, ई अंतिम प्रणाम!