भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ओळख !/ कन्हैया लाल सेठिया

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:14, 16 नवम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कन्हैया लाल सेठिया |संग्रह=लीलटांस / कन्हैया ल…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


आंई
खिणां में है
काळ जयी खिण
दीठ चाहीजै,


आंईं
सबदां में है
परम सबद
परख चाहीजै,


आईं
सुरां में है
अनहद
ओळख चाहीजै !