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दिन !/ कन्हैया लाल सेठिया

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बगत बावै

अन्धेरै रै भैंसै स्यूं

चांद रो हळ,

बीजै

आभै रे खेत में,

तारां रा बीज

जणां निपजै

दिन री सोनल फसल !