♦ रचनाकार: अज्ञात
आवत है नन्दलाल के हाथी, तूरत डार मीरोरत छाती,
ए नन्दलाल धका जनि दीहऽ धुक्की जनि दीहऽ।
मथुराजी के लोगवा बड़ा रगरी, फेरत है सिर के गगरी,
भींजत है लहँगा चुनरी, बान्हत है टेढ़का पगरी।
आवत है नन्दलाल के हाथी, तूरत डार मीरोरत छाती,
ए नन्दलाल धका जनि दीहऽ धुक्की जनि दीहऽ।
मथुराजी के लोगवा बड़ा रगरी, फेरत है सिर के गगरी,
भींजत है लहँगा चुनरी, बान्हत है टेढ़का पगरी।