भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कमाऊ / रामस्वरूप किसान
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:37, 3 दिसम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामस्वरूप किसान |संग्रह=आ बैठ बात करां / रामस्व…)
आजकल म्हैं
भौत काम करूं
जोड़ायत रै
छोटै-छोटै
सपनां री
कतल करूं
उण री
मरूभौम आंख्यां में
अभाव रा ठूंठ जोवूं
टाबरां री तार-तार नीकरां में
भविख रौ गणित काढूं
मांगतोड़ा सारू
नुवां नुवां उळावा सोधूं
आजकाल म्हैं भोत खपूं-
छिन-छिन रै
जीवणै सारू
जिग्यां बणावूं अर
छिन-छिन रै
सोरै सांसां रौ
मौल कूंतूं
आजकाल म्हैं भौत खपूं।