भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दम / हरिऔध

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:59, 18 मार्च 2014 का अवतरण (Sharda suman moved page दम to दम / हरिऔध)

यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 क्यों लिया यह न सोच पहले ही।

आप तुम बारहा बने यम हो।

हैं खटकते तुम्हें किये अपने।

क्या अटकते इसी लिए दम हो।