शैतानी कर रहे सितारे
चाँद आज छुट्टी पर है ।
आज अन्धेरा अफ़सर है ।।
भेज दिए अर्दली धुँधलके
तम ने दसों दिशाओं को
चलते-चलते ठहर गई हैं
क्या हो गया हवाओं को ।
सड़कें ऐसे चुप हैं जैसे
शहर नहीं ये बंजर है ।
आज अन्धेरा अफ़सर है ।।
चली गई लानों की बातें
जाने किन तहखानों में
ऐसी ख़ामोशी है जैसी
होती है शमशानों में
आँगन से बाहर तक डर का
फैला हुआ समन्दर है ।
आज अन्धेरा अफ़सर है ।।