भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

किसान / चकोर

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:59, 2 मई 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKCatKavita}} {{KKAnthologyDeshBkthi}} <poem> अल्लाह नाम वालो, सुन लो कथा ह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अल्लाह नाम वालो, सुन लो कथा हमारी,
मस्जिद के तुम हो बंदे, मंदिर के हम पुजारी।

हैं नाम उसके कितने, पर एक ही ख़ुदा है,
हज़रत हुसैन वो ही, वंशी थी जिसकी प्यारी।

वह करबला में आया, गोकुल में भी वही था,
गीता बनाई उसने, जिसकी अज़ां है जारी।

कुरआन है जो उसका, तो वेद भी उसी का,
‘प्रीतम’ न फ़र्क़ समझो, दुनिया उसी की सारी।


रचनाकाल: सन 1922