Last modified on 20 मई 2015, at 16:09

एक छेव मरले / मोती बी.ए.

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:09, 20 मई 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मोती बी.ए. |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

एके छेव मरले
गड़हा ना होला
गड़हा होला
छेव पर छेव मरले
एके लाठी
साँप ना मूवे
साँप मूवेला
ताबड़तोड़ लाठी बरिसवले
रसरी के एके घर्रा से
सील पर निसान ना परे
रसरी पर रसरी के घर्रा से
पत्थर पर गहिर निसान परि जाला
जड़ के कवनो
सींगि पोंछि ना होला
जो होखबो करे
त रगड़ खइला से
घिसइला से साफ हो जाला
मूरख, उठु जागु
कवले सूतल रहबे
देहिं से करम ले
मेहनति करबे
कवनो काम करबे
अदिमी हो जइबे
बिना मेहनति के
के अदिमी भइल बा रे
तोके छाँड़ि के।
29.07.92