पके-पके क्या आम रसीले, हरे-लाल हैं नीले-पीले।
आँधी अगर कभी आ जाती, आम हज़ारों पीट गिराती।
इनको लेकर चलो ताल पर, वहाँ खूब पानी से धोकर।
सौ-पचास तक खाएँगे हम, आज न भोजन पाएँगे हम।
’सरस्वती’ पत्रिका के हीरक जयंती विशेषांक में प्रकाशित
पके-पके क्या आम रसीले, हरे-लाल हैं नीले-पीले।
आँधी अगर कभी आ जाती, आम हज़ारों पीट गिराती।
इनको लेकर चलो ताल पर, वहाँ खूब पानी से धोकर।
सौ-पचास तक खाएँगे हम, आज न भोजन पाएँगे हम।
’सरस्वती’ पत्रिका के हीरक जयंती विशेषांक में प्रकाशित