भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आदमी की ज़रूरत / माशा कालेको

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:56, 14 जुलाई 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=माशा कालेको |अनुवादक=अनिल जनविजय...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

किसी को ज़रूरत होती है
सिर्फ़ द्वीप की
और वह समुद्र में खो जाता है

किसी को ज़रूरत होती है
एक आदमी को
और वह बहुत ज़रूरी हो जाता है

रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय