भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दो : पत्नी के लिए / धूमिल

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:16, 5 फ़रवरी 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=धूमिल |संग्रह =सुदामा पाण्डे का प्रजातंत्र / धूमिल }} द...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

देह तो आत्मा तक जाने के लिए सुरंग है ।

रास्ता है ।

तुम्हारी उंगलियाँ जैसे कविता की

गतिशील पंक्तियाँ हैं ।

तुम्हारी आँखें कविता की गम्भीर

किन्तु कोमल कल्पना है

तुम्हारा चेहरा

जैसे कविता की
ज़मीन है

तुम एक सुन्दर और सार्थक

कविता हो मेरे लिए ।