भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दो : पत्नी के लिए / धूमिल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

देह तो आत्मा तक जाने के लिए सुरंग है ।

रास्ता है ।

तुम्हारी उंगलियाँ जैसे कविता की

गतिशील पंक्तियाँ हैं ।

तुम्हारी आँखें कविता की गम्भीर

किन्तु कोमल कल्पना है

तुम्हारा चेहरा

जैसे कविता की
ज़मीन है

तुम एक सुन्दर और सार्थक

कविता हो मेरे लिए ।