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बुधनी / विकाश वत्सनाभ

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दुधिया भकइजोत सँ
सहश्रों धाप आगू
फुलायल गेना सन काया मे
केराक थम्ह सन ठाढ़
हमर श्रमशील नायिका
ओ, बुधनी !
एकर घामे एखनहुँ
हरियाइत 'मधुपक' काव्य
गामक समुच्चा खेत-पथार
कतेको छौड़ाक उमिकैत जुआनी
कतेको गिरहतक ढील तंत्र
ओ, जमुनिया झूड़झमान भेल
गफ्फा मे हथौड़ी कसने
नेपलिया पाथर केँ भरकुस्सा क'
जोगबैछ गोटेक-आध नमरी
जाहि सँ जुमैछै
ओकर चिलहाक टीशन फ़ीस
अहिबातक लहठी/सेनुर
चुल्हिक एकसंझु/एकभुक्त
एकर छनगल लीलसा
ऐरटेलक छोटका रिचार्जें
पजेबा पाथ' असाम गेल अपन हीरोक-
सलामतिक खबरि सँ
दहाबोर भ' मेटबैछै दुनूक ठेही
पोलहबैत कहैछ
घुरि आब' गाम लगले
की एखने,अहिठाम,अहि खाट प'...
एकर हुबा मे एकतर जीबैछ
बेदी-मैरीकोम-नूरी-चावला
आ,खुरपी-हाँसू-हथौड़ी-छेनी लेने
फूँकि रहल छै एकटा सशत्र क्राँति
जाहि सँ हरिया जेतैक
सवा सय कोटि हाड़-पाँजर
उबजुबेतै कतेको सन्नुकक तिजोरी
कतेको कोल्डस्टोर ,ड्योढ़ी,बखारी
हमर इ अपरतीम नायिका
नारीकेरिक तेल ओसने
सौंस सुरुज सन टिकुली सटने
मसकल पचहथ्थी नुआ मे
घसछीलनि सबकेँ संगोरि क'
चलि जायत छैक हत्ता पर
अपन चुड़ीक ताले गबैैछ लोकगीत
जाहि मे जिबैछ वयनाक मौलिकता
सगरो सँ अलोपित होयत
बटगबनी,बरहमासी...
हमरा जनैत हमर बुधनी
ओ मुसहरिक बुधनी
ओ दिना भद्रिक बंसज
ओ मार्क्सक अइहब
ओ सामंतक निछाउर...