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एक बार ही सही / अनवर ईरज

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वो

बार-बार

बोल रहा है

और ज़हर उगल रहा है


वो

बार-बार

बोल रहा है

ग़लत और झूठ

बोल रहा है


क्या हम इतने

ग़ैर जानिबदार

सेक्यूलर

और मस्लेहात पसंद हो गए हैं

कि बार-बार नहीं तो कम से कम

हमें एक बार ही सही

सच तो बोलना चाहिए