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आरती / 6 / भिखारी ठाकुर

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आरती करहु सियार रघुबर के। कुबरी, रूकमिणि, साम-सुनर के।
कंचन थार कपूर के बाती। बेद उचारत ब्राह्मण जाती।
पहिला आरती सीतावर के। दुसर राधा-मुरलीधर के।
तीसर सती गणपति शंकर कर। बार-बार कह बम-बम हर-हर। मन.

चौथी आरती चतुरानन के। पंचम् रिपुघ्न भरत-लषण के।
षष्टम खप्पर-खर्ग धरि काली। हींग लाज कलकत्ता वाली।
सप्तम सत्यदेव जगदीश्वर। बदरीनाथ, केदार, भुवनेश्वर।
अष्टम् आरती अनपुराणा के। जग मग ज्योति सकल सुरन के। मन.।

नव नरसिंह, दसो दिगपाला। रूद्र ग्यारह मुण्ड के माला।
सोन समुन्द्र, सरयूग गंगा। हरहु पाप करऽ निरमल अंगा।
तीरथ-राज, अछै बट बेनी। यमुना, सरहसती सुख-देनी।
कपिलदेव, पारस, परशुरामा। लवकुश, महाबीर, बलधामा। मन.

राजा दशरथ सब रनिबासा। अंगिरा, अगस्त, रिषी दुरवासा।
वासुदेव, देवकी, यशोदा, नन्दा। शेष नारायण सूरज चन्दा।
अंजनी, अहिल्या, सती सुलोचानी। अनसुयादिक भवभयमोचनि।
विश्वामित्र वशिष्ठ कबीरा। परबत कानन अग्नि समीरा। मन.।
नारद, व्यास, परासर, कागा। गरुड़ देव का जिन प्रिय लागा।
बाल्मीकि, श्रीतुलसीदासा। भारद्वज कर पुरणा आसा।
मुनिमण्डली, महिसुर गवतारा। धु्रव, प्रहलाद, सकल अवतारा।
मातु-पिता-गुरु-चारो धाम। श्रुति, पुरान, हरिश्चन्द्र, सुदामा। मन.।
भीम-युधिष्ठिर पाँचो भाई। सहित द्रोपदी कुन्ती माई।
संत सुतीक्षण, ऋषि मतंगा, सतान्द, भृगु, मुनि सरभंगा॥
रिद्धि सिद्धि भावी व्रत-धारी। विष्णु चारी भुज सिन्धु कुमारी।
आतम पंच तत्व अविनाशी। निरंकार घट-घट के बासी। मन.।