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फिर खिला अमलतास / रश्मि शर्मा
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घर के बाहर
फिर खिला है
अमलतास
सूनी दोपहर
घर है उदास
पीले गजरे
झूम रहे कंचन वृक्ष में
सूनी देहरी को
किसी के आने की है
आस
घर के बाहर
फिर खिला है
अमलतास