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दै छै ठिठुराय हो / ब्रह्मदेव कुमार

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धनी: चलोॅ जैबै पिया हो, गोड्डा बजरिया।
हमरा कीन दिहोॅ, हे जी कीन दिहोॅ
घुंघुर लागल पैंजनियाँ कीन दिहोॅ॥

पिया: चलोॅ जैबै धनी हे, गोड्डा बजरिया।
तोरा कीन देभौं, हाँ जी कीन देभौं
घुंघुर लागल पैंजनियाँ कीन देभौं॥

धनी: चलबै स्कूल होय छै शिक्षक-समागम
दौड़-धूप उछल-कूद, होय छै धमाधम।
चलोॅ हम्हूँ दौड़बै हो, जीतबै इनमियाँ
हमरा कीन दिहोॅ, हे जी कीन दिहोॅ
मोती जड़ल चुनरिया कीन दिहोॅ॥

पिया: शिक्षक-समागम के देखोॅ महŸाा
प्रतिभा उभारै के काम अलबŸाा।
हम्हूँ उछलबै हे, छूबै उचईया
तोरा कीन देभौं, हाँ जी कीन देभौं
मोती जड़ल चुनरिया कीन देभौं॥

धनी-: कैरम, शतरंज आरोॅ होय छै चित्रांकन
फूटबौल, क्रिकेट आरोॅ खेल बैडमिंटन।
चलोॅ हम्हूँ खेलबै हो, दैकेॅ धियनमाँ
हमरा कीन दिहोॅ, हे जी कीन दिहोॅ
तारा टाँकल सड़िया, कीन दिहोॅ॥
पिया: शिक्षक-समागम के उद्देश्य महान् छै
शिक्षकै पेॅ बच्चा के, टिकलोॅ जहान छै।
संस्कार सुधरतै हे, सँवरतै जिनिगिया।
तोरा कीन देभौं, हाँ जी कीन देभौं
तारा टाँकल सड़िया कीन देभौं॥

धनी: भाषण आरो वाद-विवाद भी होतै
एकल-युगल-समूह के गान भी होतै।
चलोॅ हम्हूँ गैबै हे, गान मधुरिया
हमरा कीन दिहोॅ, हे जी कीन दिहोॅ
हमरा रेशम के चोलिया कीन दिहोॅ
हमरा चाँदी बटनियाँ कीन दिहोॅ॥

पिया: शिक्षा में गुणात्मक सुधार छै करना
शिक्षा सेॅ सर्वांगीन विकास छै करना।
राष्ट्र-निर्माण में हे, समर्पित समईया
तोरा कीन देभौं, हाँ जी कीन देभौं
तोरा रेशम के चोलिया कीन देभौं
तोरा चाँदी बटनियाँ कीन देभौं॥

धनी: कŸो सुन्दर लागतै हे, हमरोॅ भारत देश।
हमरा कीन दिहोॅ, हे जी कीन दिहोॅ
चूड़ी, सिन्दुर, टिकुलिया कीन दिहोॅ॥

पिया: बड़ी उपर जैतै हे, हमरोॅ ई भारत देश।
तोरा कीन देभौं, हाँ जी कीन देभौं
चूड़ी-सिन्दुर-टिकुलिया कीन देभौं॥