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बहुत काम है.. / सुरेन्द्र डी सोनी
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व्यस्तता -
हमारा ओढ़ा हुआ झूठ...
इतना भारी
कि उसके नीचे दबकर
मरा तो जा सकता है
लेकिन
उसे उतारकर
एक ओर रखा नहीं जा सकता...
बहुत काम है भाई..!