भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बहुत काम है.. / सुरेन्द्र डी सोनी
Kavita Kosh से
व्यस्तता -
हमारा ओढ़ा हुआ झूठ...
इतना भारी
कि उसके नीचे दबकर
मरा तो जा सकता है
लेकिन
उसे उतारकर
एक ओर रखा नहीं जा सकता...
बहुत काम है भाई..!