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मरवण / नीलम पारीक
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बा जले आप ही
धुप में
चाले
काँटा पर
तपती बालू
पगां उभाणे
तिरसा सूखा होठां
भर ल्यावे दो घड़ माट
मीलां चाल
खावे चोट तन पर मन पर
फेर बी जोवे
साँझ रो दिवलो
घर री खुसहाली खातर
आप रवे भूखी
पर बनावे तीज तिवार
मीठा पकवान
आपरो जीवन थार सो
पर बनावे आपणा खातर
मरवण