Last modified on 28 जनवरी 2009, at 14:13

तुम्हारे आने की ख़बर / सरोज परमार

द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:13, 28 जनवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सरोज परमार |संग्रह=समय से भिड़ने के लिये / सरोज प...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


गुनगुनी धूप में पहाड़ियों का सफ़र
बर्फ़बारी के दिनों में धूप की सतर
बन्द कमरे मेम सन्दली झोंका
नुमायशी गलीचों मेम चन्दन अतर
तुम्हारे आने की ख़बर.
मुहर्रमी फानूस से चँदीली नहर
ठिठुरती रात,जश्न में डूबा शहर
वक़्त ने लिख दिए कसीदे कितने
अँकुराया पीपल फिर भी फ़सील पर
तुम्हारे आने की ख़बर.