भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तुम्हारे आने की ख़बर / सरोज परमार

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


गुनगुनी धूप में पहाड़ियों का सफ़र
बर्फ़बारी के दिनों में धूप की सतर
बन्द कमरे मेम सन्दली झोंका
नुमायशी गलीचों में चन्दन अतर
तुम्हारे आने की ख़बर.
मुहर्रमी फानूस से चँदीली नहर
ठिठुरती रात,जश्न में डूबा शहर
वक़्त ने लिख दिए कसीदे कितने
अँकुराया पीपल फिर भी फ़सील पर
तुम्हारे आने की ख़बर.