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हेरी म्हा दरद दिवाणौ / मीराबाई
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रचनाकार: मीराबाई
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हेरी म्हा दरद दिवाणौ
म्हारा दरद ना जाण्याँ कोय ।
घायल री गत घायल जाण्याँ
हिबडो अगण संजोय ॥
जौहर की गत जौहरी जाणै
क्या जाण्याँ जण खोय
मीरा री प्रभु पीर मिटाँगा
जब वैद साँवरो होय ॥