भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वसंत और तुम / आलोक श्रीवास्तव-२

Kavita Kosh से
Himanshu (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:53, 1 अप्रैल 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आलोक श्रीवास्तव-2 }} <poem> दिशाओं पर झुका हुआ एक मु...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 
 
दिशाओं पर
झुका हुआ एक मुख
निहार रहा है
पृथ्वी के एक फूल को
अति प्राचीन
रोमानी शैली में अधोमुख
फूल, एकटक देखे जा रहा है
अपने निहारने वाले को

दिशाओं पर
अभिभूत वह वसंत है
और
वह फूल ?