भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
रास्ते खामोश हैं / तेजेन्द्र शर्मा
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:08, 10 फ़रवरी 2007 का अवतरण
रचनाकार: तेजेन्द्र शर्मा
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
रास्ते ख़ामोश हैं और मंज़िलें चुपचाप हैं
ज़िन्दगी मेरी का मकसद, सच कहूं तो आप हैं
आपके आने से पहले चल रही थी ज़िन्दगी
वो भला क्या ज़िन्दगी, जिसमें न शामिल आप हैं
ज़िन्दगी भर ख्वाब में चेहरा जो हम देखा किये
वो न कोई और था, सपना भी मेरा आप हैं
मां की ममता, प्यार बीवी का सभी कुछ तुम ही हो
बेतक्कलुफ़ हो के भी, तुम तुम नहीं हो, आप हैं
आंख के आंसू में शामिल है ख़ुशी या फिर है गम
फर्क क्या पडता है, हर आंसू का कारण आप हैं