भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कितना काम करेंगे / नासिर काज़मी
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:50, 14 मार्च 2007 का अवतरण
रचनाकार: नासिर काज़मी
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
कितना काम करेंगे
अब आराम करेंगे
तेरे दिये हुए दुख
तेरे नाम करेंगे
अहल-ए-दर्द ही आख़िर
ख़ुशियाँ आम करेंगे
कौन बचा है जिसे वो
ज़ेर-ए-दाम करेंगे
नौकरी छोड़ के "नासिर"
अपना काम करेंगे