भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
विवशता / अरविन्द श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
Arvind srivastava (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:56, 7 सितम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: वह धीरे से सरका करीब आया हल्की मुस्कान के साथ दबी किन्तु सख्त जुब...)
वह धीरे से सरका करीब आया हल्की मुस्कान के साथ दबी किन्तु सख्त जुबान मे बोला- ' स्मैक लोगे ?'
मै कहता नहीं तो भी मुझे लेना पड़ता ।