Last modified on 24 मई 2009, at 17:21

राखी बांधत जसोदा मैया / सूरदास

राखी बांधत जसोदा मैया ।

विविध सिंगार किये पटभूषण, पुनि पुनि लेत बलैया ॥

हाथन लीये थार मुदित मन, कुमकुम अक्षत मांझ धरैया।

तिलक करत आरती उतारत अति हरख हरख मन भैया ॥

बदन चूमि चुचकारत अतिहि भरि भरि धरे पकवान मिठैया ।

नाना भांत भोग आगे धर, कहत लेहु दोउ मैया॥

नरनारी सब आय मिली तहां निरखत नंद ललैया ।

सूरदास गिरिधर चिर जीयो गोकुल बजत बधैया ॥