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कुतियो / श्याम महर्षि

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घरां पाळैड़ो
कुतियो
म्हारो हाथ चाटतां-चाटतां
अबै गुर्रावण लागग्यो है,

क्यूं कै
उण री संगत अबै
कुतियां सागै कम
अर मिनखां सागै
घणी हुवण नै लागगी है,

बो अबै खावै नीं
पण गुर्रावै घणौ है
बो जाणै/कै खावणै सूं
डरावणो घणो जरूरी है।