वृन्द कवि बीकानेर के मूल निवासी थे। इनका पूरा नाम वृन्दावन था। ये औरगज़ेब के पुत्र मुअज्जम और पौत्र अज्जीमुश्शान के शिक्षक थे। कुछ समय बाद इन्हें किशनगढ़ के राजा मानसिंह ने अपने यहाँ रहने के लिए बुला लिया।
इन्होंने ‘वृन्द विनोद सतसई’ की रचना की यह सतसई ‘वृन्द सतसई’ के नाम से प्रसिद्ध है ।