मुँह से निकली बात
और वह
हवा सरीखी सरपट भागी
जा पहुँची
बाँसों के वन में !
रोकूँ टोकूँ तब तक
वह तो
लपट उठती दावानल-सी
फैल गई-
पूरे कानन में !!
मुँह से निकली बात
और वह
हवा सरीखी सरपट भागी
जा पहुँची
बाँसों के वन में !
रोकूँ टोकूँ तब तक
वह तो
लपट उठती दावानल-सी
फैल गई-
पूरे कानन में !!