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कातिक का पयान / त्रिलोचन

कातिक पयान करने को है, उठाया है

दाहिना चरण, देहरी को लाँघ आया है,

लेकिन अँगूठा अभी भूमि से लगा नहीं,

ऊपर ही ऊपर है, जैसे जगा नहीं .