Last modified on 25 जून 2007, at 12:31

रजनीगंधा / त्रिलोचन

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:31, 25 जून 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=त्रिलोचन }} अनदिख टहनियाँ रजनीगंधा की हवा में फैली ह...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


अनदिख टहनियाँ

रजनीगंधा की

हवा में

फैली हैं


साँसों में मेरी

लहराती हैं

चेतना को छेड़ कर

सिराओं में

जीवन का वेग

बन जाती हैं


इन के उलहने की गति

जान पाता हूँ

केवल परस से

रात रोक नहीं पाती