रामगुणगान-2
( छंद 113 से 114 तक)
(113)
जय जयंत-जयकर, अनंत सज्जनजनरंजन!
जय बिराध-बध-बिदुध -मुनिगन-भय -भंजन!
जय निसिचरी-बिरूप-करन रघुबंसबिभूषन!
सुभट चतुर्दस-सहस दलन त्रिसिरा-खर-दूषन।।
जय दंडकबन-पावक-करन, तुलसिदास-संसय-समन!
जगबिदित, जगतमनि, जयति जय जय जय जय जानकिरमन!
(114)
जय मायामृगमथन, गीध-सबरी-उद्धारन!
जय कबंधसुदन बिसाल तरू ताल बिदारन!
दवन बालि बलसालि, थपन सुग्रीव, संतहित!
कपि कराल भट भालु कटक पालन, कृपालचित!
जय सिय-बियो ग-दुख हेतु कृत -सेतुबंध बारिधिदमन!
छससीस बिभीषन अभयप्रद, जय जय जय जानकिरमन!