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भाषा / राकेश प्रियदर्शी

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वे जब बोलते हैं

उनकी भाषा बहुत ही सुसंस्कृत होती है


वे जब लड़ते हैं,

उनकी भाषा सिर्फ कटु कही जाती है

वे गाली-गलौज जब करते हैं,

उनकी भाषा सिर्फ अपशब्दों के प्रयोग

भर कही जाती है


और हमारी कटु बोलने की बिसात!

और हमारी गाली-गलौज करने की औकात!

नहीं, नहीं कर सकता मैं ऐसा कभी


मैं सिर्फ बोलता हूं और बोलता हूं,

वे इसे राड़ की भाषा कहते हैं,

मैं राड़ हूं. हाँ मैं राड़ हूं,


राड़ की भाषा ही इस देश की

नयी परिभाषा लिखेगी