Last modified on 28 जून 2007, at 00:01

शाम / नचिकेता


टूट गिरा पत्ते-सा दिन


धुआँ पहनने लगीं दिशाएँ

दीवालों के दाएं-बाएं

किरणों की नाजुक टहनी पर

झूल रहा छत्ते-सा दिन


गीली चिड़िया की पाँखों से

चूने लगा समय आँखों से

सूख रहा छत की मुँडेर पर

यह कपड़े-लत्ते-सा दिन


नाखूनों से तेज़ हवा के

मुँह पर कई खरोंच लगा के

कालचक्र पर मढ़ी जिल्द से

उघर रहा गत्ते-सा दिन