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प्रीत-25 / विनोद स्वामी

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सूकी जांटी पर लटकता
तोरूं रा तूंमड़ा
अर सूक’र उळजेड़ा
बेल रा नाळखा
बाज-बाज कैवै
प्रीत ओखी-प्रीत ओखी।