Last modified on 23 जून 2011, at 16:45

मुँह से कहते नहीं, 'गुलाब भी है' / गुलाब खंडेलवाल

Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:45, 23 जून 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह= सौ गुलाब खिले / गुलाब खं…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


मुँह से कहते नहीं, 'गुलाब भी है'
पर उन आँखों में कुछ जवाब भी है

रूप की सादगी पे मत जायें
दूध में थोड़ी-सी शराब भी है

वे बुरे को ही कह रहे हैं भला
वही अच्छा है जो खराब भी है

चाहिए आँख देखने के लिए
है जो परदे में, बेनकाब भी है

ख्वाब कहते हैं लोग दुनिया को
सच है दुनिया हसीन ख्वाब भी है

फ़ीका-फ़ीका हुआ है बाग़ का रंग
यों तो होने को एक गुलाब भी है