अभी चली जाएगी शाम यह
निकट अँधेरे के ।
बुझते प्रकाश में--
मोरों का बोलना
मंडराना चिड़ियों का
पत्तियों का हिलना
सिमटना आकाश का ।
साथ वही, देखो फिर
अनलिखा !
अभी चली जाएगी शाम यह
निकट अँधेरे के ।
बुझते प्रकाश में--
मोरों का बोलना
मंडराना चिड़ियों का
पत्तियों का हिलना
सिमटना आकाश का ।
साथ वही, देखो फिर
अनलिखा !