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उदयप्रकाश से / अनिल जनविजय

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पहले तुम

कविता लिखते थे

इतनी अच्छी


अब क्या हो गया तुम्हें

बतलाओ ज़रा

इधर-उधर फैली बातों को

झुठलाओ ज़रा


कहना सब बातें तुम लेकिन

सच्ची-सच्ची

और फिर से कविता लिखना तुम

वैसी ही अच्छी


(रचनाकाल : 1996)