घुळ्गांठ
नीं खुली
थारै झाझै जतनां
उळ्झ्योड़ी
प्रीत री घुळ्गांठ
जाणै
जड़-चेतन री ग्रंथी
रची
स्रिस्टी रै सरुपोत में
आपां दोवूं मिळ’र ई
घुळ्गांठ
नीं खुली
थारै झाझै जतनां
उळ्झ्योड़ी
प्रीत री घुळ्गांठ
जाणै
जड़-चेतन री ग्रंथी
रची
स्रिस्टी रै सरुपोत में
आपां दोवूं मिळ’र ई