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कब तक सहें / राधेश्याम बन्धु

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ज्योति- पथ
यह कौन दंशित कर गया है

पालतू तोते
मुखर संवाद
शब्दकोशों से
मिटे प्रतिवाद

उफ़ ! समय को
आज यह क्या हो गया है

बाज़ दहशत -सी
लगाता गश्त
हर कबूतर
मौन को अभिशप्त

सूर्य -रथ यह कौन
खंडित कर गया है