फूल हँसों गंध हँसों प्यार हँसो तुम
हँसिया की धार! बार-बार हँसो तुम।
हँसो और धार-धार तोडकर हँसो
पुरइन के पात लहर ओढकर हँसो
जाडे की धूप आर-पार हँसों तुम
कुहरा हो और तार-तार हँसो तुम।
गुबरीले आंगन दालान में हँसो
ओ मेरी लौंगकली! पान में हँसो
बरखा की पहली बौछार हँसो तुम
घाटी के गहगहे कछार हँसों तुम।
हरसिंगार की फूली टहनियां हँसो
निंदियारी रातों की कुहनियाँ हँसो
बाँहों के आदमकद ज्वार हँसो तुम
मौसम की चुटकियाँ हजार हँसो तुम।