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हिरण्यगर्भ / नाथूराम शर्मा 'शंकर'

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सुख-दाता तू प्रभू मेरा है।
तेरी परम शुद्ध सत्ता में, सब का विशद बसेरा है।
सुख-दाता तू प्रभू मेरा है।
केवल तेरे एक देश ने, घटक प्रकृति का घेरा है।
सुख-दाता तू प्रभू मेरा है।
तू सर्वस्व सकल जीवों को, किस पर प्यार न तेरा है।
सुख-दाता तू प्रभू मेरा है।
दीनबन्धु तेरी प्रभुता का, जड़-मति ‘शंकर’ चेरा है।
सुख-दाता तू प्रभू मेरा है।