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दीपावली / रमेश रंजक

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हल्दी भरे हाथ की थापें मार कर
जाने क्या लिख गई अमावस
लिपी-पुती दीवार पर

तोड़ गई मज़दूरिन मकड़ी का
झीना छींका
आले में रख गई सुनहरी
झुमका चमकीला
गेंदे की मेहराब सजा कर द्वार पर

आँगन में
कालीन केसरी बिछा गई पगली
चौकी पर
दो-तीन मूर्तियाँ रख कर भली-भली
एकदन्त पर खिल-बताशे वार कर