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एक ऊहापोह / रमेश रंजक

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कर रहे हैं शब्द समझौते
अर्थ फिर कैसे करे विद्रोह ?
एक ऊहापोह के शव पर
उग रहा है एक ऊहापोह !

कसे थे तूणीर जिनके वास्ते
उन्हीं चरणों पर चढ़ा कर
लौटते हैं जो
भीड़ में शामिल हुए हैं
इस तरह फिर से
लग रहा है वो नहीं है वो

रँग उतरे हुए मुख पर
पोत कर साहस
टोह देकर, ले रहे हैं टोह
अर्थ फिर कैसे करे विद्रोह ?