जी चाहता है नन्ही चिड़िया बनूँ
पंख फैला कर आसमान मैं दूर तक उडूं ...
ले चलूँ सब साथी संगी संग अपने
और हो आँखों में ढेर से सपने
सपने वो जो पूरे करें मिलजुलकर सारे
पहुंचे वहां जहाँ हो ढेर से तारे
प्रेम और विश्वास की डोर से बंधकर
लायें साथ अपने कुछ उमीदें बुनकर
नन्ही चिड़िया बनकर छूलूं आसमान
पूरे करलूं छोटे बड़े सब अपने अरमान
जी यही चाहता है हरदम ...
-दीपाली आशीष बोहरा ( Adiya)