भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सदस्य:Adiya

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जी चाहता है नन्ही चिड़िया बनूँ

पंख फैला कर आसमान मैं दूर तक उडूं ...


ले चलूँ सब साथी संगी संग अपने,

और हो आँखों में ढेर से सपने|


सपने वो जो पूरे करें मिलजुलकर सारे

पहुंचे वहां जहाँ हो ढेर से तारे|


प्रेम और विश्वास की डोर से बंधकर,

लायें साथ अपने कुछ उमीदें बुनकर|


नन्ही चिड़िया बनकर छूलूं आसमान,

पूरे करलूं छोटे बड़े सब अपने अरमान|


जी यही चाहता है हरदम ...


-दीपाली आशीष बोहरा ( Adiya)